सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देने वाली एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में सरकार की ओर से अंतिम मंजूरी मिल गई है, लेकिन अब हर कोई इसका कनेक्शन नहीं ले पाएगा। सरकार ने स्टारलिंक के कनेक्शनों और इंटरनेट स्पीड पर सख्त सीमाएं तय कर दी हैं।
क्या हैं सरकार के नए नियम?
भारत में स्टारलिंक अधिकतम 20 लाख कनेक्शन ही दे सकेगी।
इंटरनेट स्पीड 200 एमबीपीएस से ज्यादा नहीं होगी।
स्पेक्ट्रम के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
कंपनी को भारत में कम से कम 3 गेटवे स्टेशन स्थापित करने होंगे।
दूरसंचार राज्यमंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने जानकारी देते हुए बताया कि यह कदम BSNL और अन्य टेलिकॉम कंपनियों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है, ताकि स्टारलिंक एकाधिकार न बना सके।
किन्हें मिलेगा फायदा?
स्टारलिंक की सेवाएं खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में दी जाएंगी, जहां अब भी इंटरनेट पहुंच सीमित है। सरकार चाहती है कि BSNL जैसी सार्वजनिक कंपनियां वहां सक्रिय भूमिका निभाती रहें।
Starlink बनी तीसरी कंपनी
Eutelsat-OneWeb और Jio के बाद स्टारलिंक तीसरी कंपनी है जिसे भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा की मंजूरी मिली है।
भारत में वर्तमान में इंटरनेट की अधिकतम स्पीड 1 जीबीपीएस तक पहुंच चुकी है, ऐसे में स्टारलिंक की लिमिटेड स्पीड तय कर तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा को संतुलित करने की कोशिश की जा रही है।
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