कोलंबो: श्रीलंका के एक प्रमुख सांसद ने देश की सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि अडानी समूह के श्रीलंका में निवेश के रुख़ को लेकर सरकार की नीतियों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक गलत संदेश जा रहा है। सांसद ने चिंता जताई कि यदि अडानी समूह का श्रीलंका से जाना जारी रहा, तो इससे न केवल देश की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी, बल्कि यह देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी ठेस पहुंचाएगा।
सांसद ने अपने बयान में यह बताया कि अडानी समूह, जो पहले से ही ऊर्जा और बुनियादी ढाँचे के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था, के जाने से विदेशी निवेशकों में असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा, "अगर हम एक शक्तिशाली निवेशक को खो सकते हैं, तो इससे यह संदेश जाएगा कि श्रीलंका में व्यापार करना सुरक्षित नहीं है।”
इसके साथ ही, सांसद ने सरकार से अपील की है कि वह निवेशकों के प्रति अपनी नीतियों को बेहतर बनाने पर ध्यान दे। उन्होंने कहा, "हमें यह सोचने की जरूरत है कि हम किस प्रकार से विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकते हैं। यदि हम ऐसे कदम नहीं उठाते हैं, तो हमें आगे चलकर गंभीर आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है।"
इस घटना ने श्रीलंका के राजनीतिक और आर्थिक हालात पर एक नई बहस छेड़ दी है। अर्थशास्त्री और राजनीतिक विश्लेषक भी इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं और यह देखना चाहते हैं कि सरकार इस पर कैसे प्रतिक्रिया देती है।
सांसद का यह बयान श्रीलंका में व्याप्त राजनीतिक अनिश्चितता और आर्थिक चुनौतियों के बीच आया है, जिससे देश की विकास योजनाओं पर संकट मंडरा रहा है। उन्होंने आशा जताई कि यह मुद्दा सभी राजनीतिक दलों के लिए एक चौकसी का विषय बन सकेगा, ताकि श्रीलंका की आगे की दिशा सुनिश्चित की जा सके।
**निष्कर्ष:** अडानी समूह का मामला केवल एक व्यवसायिक विवाद नहीं है, बल्कि यह श्रीलंका की समग्र विकास नीति और अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए भी महत्वपूर्ण है। ऐसे में सरकार के लिए जरूरी है कि वह इस मुद्दे को संजीदगी से ले और सही कदम उठाए।
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