दी-किसान को-ऑपरेटिव शुगर मिल, सरसावा में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। गन्ने की फसल में डाली जाने वाली नकली दवाओं के कारोबार का खुलासा तब हुआ जब मिल प्रबंधक राजकुमार मित्तल ने अचानक छापामारी की। जांच के दौरान इफको और एफएमसी जैसी अधिकृत कंपनियों की दवाइयों की जगह अन्य कंपनी की संदिग्ध और नकली दवाइयां पाई गईं।
मामले में गन्ना अधिकारी अंकित चौधरी और उनके स्टाफ पर गंभीर आरोप लगे हैं। बताया जा रहा है कि ये अधिकारी अधिक मुनाफा कमाने के उद्देश्य से किसानों को अधिकृत कंपनियों की बजाय किसी अन्य कंपनी की नकली दवाएं बेच रहे थे। यह दवाएं संघ के निर्देशों के विरुद्ध हैं, जो सीधे किसानों की पैदावार और फसल की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं।
छापे के दौरान गन्ना अधिकारी के कार्यालय में मौजूद सेवानिवृत्त कर्मचारी सतीश कुमार से जब सवाल किए गए तो वे कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए।
शुगर मिल प्रशासन द्वारा इस पूरे प्रकरण की जांच तेज कर दी गई है, और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठ रही है। किसानों के साथ इस प्रकार के धोखे से पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया है।
यह खबर किसानों की मेहनत पर चोट करने वाले भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण बनकर सामने आई है।
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