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गुरुवार को लोकसभा में 12 घंटे से अधिक चली बहस के बाद, लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित कर दिया गया। इस विधेयक को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। जहां सत्तारूढ़ एनडीए ने इसे अल्पसंख्यकों के हित में बताया, वहीं विपक्ष ने इसे मुस्लिम विरोधी बताते हुए वापस लेने की मांग की।

विधेयक का समर्थन और विरोध
विधेयक पर बहस के दौरान विपक्षी सदस्यों ने इसमें संशोधन के लिए प्रस्ताव रखे, जिन्हें ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया। इसके बाद विधेयक को 288-232 के अंतर से पारित कर दिया गया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों के लिए कोई जगह अधिक सुरक्षित नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत में अल्पसंख्यक इसलिए सुरक्षित हैं क्योंकि बहुसंख्यक हिंदू समुदाय धर्मनिरपेक्ष है।

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर तर्क
रिजिजू ने कहा कि पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों को जब भी उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, वे भारत में शरण लेते हैं। उन्होंने दलाई लामा और तिब्बती समुदाय का उदाहरण देते हुए भारत को अल्पसंख्यकों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान बताया।

विधेयक से होने वाले लाभ
सरकार के अनुसार, यह विधेयक वक्फ न्यायाधिकरणों में लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे में सहायक होगा। मंत्री ने कहा कि यह विधेयक विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों को न्याय दिलाने में मदद करेगा।

गृह मंत्री अमित शाह का बयान
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अल्पसंख्यकों को डराकर वोट बैंक की राजनीति की जा रही है और वक्फ बिल पर देश में भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि 2013 में तुष्टीकरण की राजनीति के तहत वक्फ कानून में संशोधन किया गया था, जिसके कारण आज इस नए विधेयक की जरूरत पड़ी।
संसद भवन
Photo Source Wikipedia
विपक्ष की आलोचना
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने विधेयक की आलोचना करते हुए इसे संविधान और संघीय ढांचे पर हमला बताया। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे भाजपा की ध्रुवीकरण की रणनीति करार देते हुए कहा कि यह विधेयक भाजपा के लिए "वाटरलू" साबित होगा। वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में विधेयक की एक प्रति फाड़कर विरोध जताया।

निष्कर्ष
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गहरी असहमति देखने को मिली। जहां सरकार इसे अल्पसंख्यकों के हित में बता रही है, वहीं विपक्ष इसे संविधान विरोधी करार दे रहा है। इस विधेयक का असर आने वाले समय में देश की राजनीति और समाज पर स्पष्ट रूप से दिखेगा।
न्यूज़ एजेंसी PTI


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