प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने केदारनाथ रोपवे प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का उद्देश्य श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को सरल और सुलभ बनाना है। नए रोपवे के निर्माण के बाद, श्रद्धालुओं को केदारनाथ तक पहुँचने में केवल 36 मिनट का समय लगेगा, जबकि वर्तमान में पैदल यात्रा में 6-8 घंटे का समय लगता है।
प्रोजेक्ट का महत्व:
केदारनाथ धाम, जो कि हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस रोपवे की मदद से न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि पहाड़ी रास्तों पर चलने में आने वाली कठिनाइयों में भी कमी आएगी। इस प्रोजेक्ट से स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा, क्योंकि यह रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करेगा और पर्यटकों की संख्या में वृद्धि करेगा।
निर्माण कार्य और प्रगति:
केदारनाथ रोपवे की लंबाई लगभग 9 किलोमीटर होगी और यह रोपवे गोविंदघाट से केदारनाथ तक फैला होगा। निर्माण के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जिससे सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। सरकार ने इस प्रोजेक्ट को केंद्र की महत्वाकांक्षी ‘पर्यटन विकास योजना’ का हिस्सा बताया है, जिसके तहत अन्य महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों के विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
श्री केदारनाथ मंदिर की सुरक्षा:
रोपवे का निर्माण क्षेत्र की भौगोलिक संरचना को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा, ताकि कोई भी नुकसान न हो। इसके साथ ही, श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। रोपवे के आस-पास UAV (ड्रोन) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति में तत्काल राहत पहुँचाई जा सके।
आर्थिक लाभ:
इस प्रोजेक्ट से न केवल स्थानीय व्यवसायियों को लाभ होगा, बल्कि पर्यटन उद्योग को भी नई ऊंचाइयों तक पहुँचाने में मदद मिलेगी। सरकार का मानना है कि रोपवे के माध्यम से आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे होटल व्यवसाय, कैफे और अन्य सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा।
केदारनाथ रोपवे प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो न केवल श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को सरल बनाएगी, बल्कि पहाड़ी इलाकों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह प्रोजेक्ट स्थानीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था को भी नए आयाम देगा, जिससे हर किसी को लाभ मिलेगा। सरकार ने इस परियोजना कोड करने के लिए उच्च प्राथमिकता दी है, और इसके सफल कार्यान्वयन से उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने की उम्मीद की जा रही है।
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