जी हां, भारतीय शेयर बाजार में फरवरी में आई गिरावट कई निवेशकों के लिए चिंता का विषय रही। निफ्टी 50 ने पिछले 29 सालों में अपनी सबसे लंबी मासिक गिरावट दर्ज की, जो 1996 के बाद पहली बार हुआ है। इस गिरावट का कारण कई वैश्विक और घरेलू कारक हो सकते हैं, जैसे:
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वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएँ: दुनियाभर में आर्थिक मंदी, महंगाई दर में वृद्धि, और केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि जैसी चिंताओं ने निवेशकों के मन में जोखिम को लेकर भय पैदा किया है।
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घरेलू मुद्रास्फीति: भारत में भी मुद्रास्फीति और महंगाई के आंकड़े उच्च स्तर पर रहे हैं, जिससे बाजार में अस्थिरता बनी रही।
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कॉर्पोरेट कमाई का दबाव: कई कंपनियों की तिमाही आय में गिरावट ने भी निवेशकों को निराश किया और उन्हें अधिक सतर्क बना दिया।
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विदेशी निवेशकों की निकासी: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की निकासी भी बाजार पर दबाव डालने वाली एक और महत्वपूर्ण वजह रही है।
इन सभी कारणों के बावजूद, भारतीय बाजार का दीर्घकालिक दृष्टिकोण सामान्यतः सकारात्मक रहा है। बाजार में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, लेकिन निवेशकों को लंबी अवधि में अच्छे रिटर्न की संभावना रहती है।
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